राजस्थान में निकाय और पंचायत चुनावों के लिए नए दिशा-निर्देश

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जयपुर। स्थानीय निकाय और पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों के लिए राजस्थान चुनाव आयोग ने गाइडलाइन जारी कर दी है। आयोग ने सभी जिला कलक्टरों को मतदाता सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं। चुनावों की घोषणा किसी भी समय की जा सकती है। राज्य की 49 निकायों और जिन पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल समाप्त हो गया है, उनके लिए संभवतः नवम्बर माह में चुनाव कराए जाएंगे। इस बीच, राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय की एकल पीठ के फैसले के खिलाफ खंडपीठ में अपील की है। राज्य सरकार अभी भी वन स्टेट वन इलेक्शन के सिद्धांत पर अडिग है। वोटर लिस्ट कार्यक्रम के अनुसार, सभी जिला कलक्टरों को वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट प्रकाशन 20 सितंबर तक करना होगा।

इसके बाद 5 अक्टूबर तक दावे और आपत्तियां प्रस्तुत की जा सकेंगी। 29 और 30 सितंबर को विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस कार्यक्रम के अनुसार, 12 अक्टूबर तक दावों और आपत्तियों का निपटारा करना होगा। इसके बाद 24 अक्टूबर तक पूरक लिस्ट तैयार होगी और 29 अक्टूबर तक वोटर लिस्ट का फाइनल प्रकाशन होगा। पंचायत चुनाव के लिए अलग-अलग वोटर लिस्ट तैयार की जानी है। राज्य निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के अनुसार, ग्राम पंचायत के हर वार्ड, पंचायत समिति के हर निर्वाचन क्षेत्र और जिला परिषद के हर निर्वाचन क्षेत्र की वोटर लिस्ट तैयार करनी होगी। 1 जनवरी 2025 को आधार मानकर वोटर लिस्ट को अपडेट किया जाएगा।

स्थानीय निकाय चुनावों के लिए 3 नवंबर को फाइनल वोटर लिस्ट प्रकाशित की जाएगी, जबकि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट 24 सितंबर को प्रकाशित होगी। 3 नवंबर को फाइनल वोटर लिस्ट तैयार होगी। 8 अक्टूबर तक दावे और आपत्तियों को प्रस्तुत किया जा सकेगा। 16 अक्टूबर तक दावों और आपत्तियों का निपटारा किया जाएगा। पंचायत और निकाय चुनावों की वोटर लिस्ट तैयार करने के दिशा-निर्देशों के बाद यह तय हो गया है कि राज्य निर्वाचन आयोग अक्टूबर के बाद ही निकाय और पंचायत चुनाव करवाएगा। इस चुनावों को लेकर राज्य सरकार और चुनाव आयोग के बीच टकराव की स्थिति बनती जा रही है। सरकार दिसंबर तक चुनावों को टालना चाहती है, लेकिन आयोग इसे मानने को तैयार नहीं है।

राज्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता वन स्टेट वन इलेक्शन को मौजूदा हालात में अव्यवहारिक बता चुके हैं। सरकार के मंत्री झाबर सिंह खर्रा दिसंबर में निकायों के एक साथ चुनाव करवाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन आयोग इस तर्क को मानने को तैयार नहीं है।

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