राजस्थान पुलिस ने नशे के तस्करों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की

जयपुर। युवा पीढ़ी को नशे की दलदल से बाहर निकालने की लड़ाई में राजस्थान पुलिस ने एक और बड़ा अध्याय लिखा है। ‘ऑपरेशन विषयुग्म’ के तहत एटीएस और एएनटीएफ की संयुक्त टीमों ने उस अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को जड़ से उखाड़ फेंका है, जो सीमा पार से लेकर दिल्ली तक युवाओं की नसों में जहर घोल रहा था। टीमों ने ताबड़तोड़ एक्शन के बाद 45 हजार रुपए के इनामी दो कुख्यात तस्करों को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया।

एक तरफ सीमापार से हेरोइन की खेप लाने वाला सरगना दबोचा गया, तो दूसरी ओर मारवाड़ से लेकर मध्यप्रदेश और गुजरात तक नशे का नेटवर्क बिछाने वाला जोगाराम भी गिरफ्त में आया है। आईजी एटीएस-एएनटीएफ विकास कुमार ने बताया कि नशे के विरुद्ध कार्रवाई में एडीजी दिनेश एमएन के निर्देशन में कार्रवाई की गई है। टीमों ने सीमा पार से राजस्थान में तस्करी के एक मुख्य सूत्रधार को दबोचा है। पहला अपराधी: सीमापार से नशे का गहरा जाल। 25 हजार रुपए का गिरफ्तार आरोपी सातलिया बीजावाल बाड़मेर का रहने वाला है।

ये बचपन से पढ़ाई में कमजोर रहा, लेकिन गलत संगत में आकर तस्कर बन गया। आरोपी सीमा पार से नशे को पंजाब एवं भारत की राजधानी तक पहुंचाता। पिता की राह पर चलकर नशे के कारोबार में इस तरह डूब गया कि नाबालिग उम्र से ही नशे को युवा पीढ़ी को परोसकर अधिक से अधिक कमाने की चाह उसे ले डूबी। अपने पिता के जेल जाने के बाद कारोबार को देश की अलग-अलग सीमाओं पंजाब, जैसलमेर, बीकानेर तक फैलाया। खुफिया एजेंसियों को दिया गच्चा। तस्कर लगातार खुफिया एजेंसियों को गच्चा दे रहा था।

आरोपी एजेंसियों को कहता रहा कि मैं तस्करों को पकड़वाऊंगा। इसी आड़ में अपना धंधा पनपाता रहा। आरोपियों को हेरोइन की तस्करी पर प्रति पैकेट पर एक लाख रुपए का कमीशन मिलता था। पाकिस्तानी बुआ से हिन्दुस्तानी मौसी तक का सफर। आरोपी की एक बुआ की शादी करीब 30 वर्ष पूर्व पाकिस्तान में हुई थी। उस बूआ से सम्पर्क के नाम पर आरोपी का पिता तारबन्दी होने के पूर्व बेरोकटोक पाकिस्तान जाकर माल लाता और आपूर्ति करता था। तारबन्दी होने के बाद धन्धा मन्दा पड़ा तो टेलीफोन से सम्पर्क हुआ।

तारबन्दी के पार पैकेट फैंके जाते और ऊंट की चराई के नाम पर आस-पास घूमता आरोपी का पिता माल उठा लेता। आरोपी के फोन से पंजाब व दिल्ली के सरगनाओं से सम्पर्क किया जाता। सरगनाओं के बीच कोडवर्ड में चलती थी बातचीत। आरोपी तस्करी में कोडवर्ड का उपयोग करते थे। इससे कोई भी फोन सुने तो पता नहीं चल सके। माल आते ही पंजाब व दिल्ली के सरगनाओं से संपर्क कर यह कोड वर्ड दिया जाता था। वह अपने आप समझकर आ जाते और कमीशन देकर माल ले जाते। आरोपी दिल्ली में पहचान छिपाकर रह रहा था।

दूसरा अपराधी: मध्यप्रदेश से बाड़मेर तक नशे की सप्लाई। दूसरा आरोपी जोगाराम उर्फ जोगेन्द्र निवासी बलदेव नगर बाड़मेर पर 20 हजार रुपए का इनाम घोषित था। यह मध्यप्रदेश से बाड़मेर तक नशे की खेप पहुंचाता था। ये पिछले आठ साल से युवा पीढ़ी को नशे की खेप पहुंचा रहा था। ये तस्करी से अपने परिवार के साथ रिश्तेदारों को भी रोजगार करने के लिए ट्रक दिलवा दिया। बाड़मेर में पचपदरा में रिफाइनरी का प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद आरोपी जोगाराम ने बड़े पैमाने पर तस्करी शुरू कर दी। स्कॉर्पियो ने पकड़वाया।

जोगेन्द्र दो महीने में गुजरात से अपने घर चुपके से आता, घरवालों से मिलकर फरार हो जाता। हमेशा अपनी स्कॉर्पियों गाड़ी को घर से दो किमी दूर एक गुप्त ठिकाने पर छिपाकर अपने घर आता था। इस स्कॉर्पियो का पीछा कर आरोपी को पकड़ लिया गया।

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