राजनाथ सिंह ने तकनीक के महत्व पर जोर दिया

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली विस्फोट के बाद देश को दृढ़ता से आश्वस्त किया कि इस दुखद घटना के जिम्मेदारों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा और उन्हें किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने इस घटना में जान गंवाने वाले सभी लोगों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हुए नागरिकों को आश्वस्त किया कि देश की प्रमुख जांच एजेंसियां इस घटना की त्वरित और गहन जांच कर रही हैं। जांच के निष्कर्ष जल्द ही सार्वजनिक किए जाएंगे।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार को नई दिल्ली में मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (एमपी-आईडीएसए) की ओर से आयोजित दिल्ली रक्षा संवाद में उद्घाटन भाषण दे रहे थे। इस संवाद का विषय ‘रक्षा क्षमता विकास के लिए नए युग की प्रौद्योगिकी का उपयोग’ था। उन्होंने भारत को उपभोक्ता से प्रौद्योगिकी निर्माता के रूप में स्थापित करने के लिए न केवल नए नवाचारों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया, बल्कि ऐसी प्रणालियां और पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का आह्वान किया, जो आत्मनिर्भर बना सकें।

राजनाथ सिंह ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), मशीन लर्निंग, क्वांटम कंप्यूटिंग और स्वार्म टेक जैसी क्रांतिकारी तकनीकों को आत्मसात करने और उनके अनुकूल ढलने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उन्नति की असली परीक्षा इस बात में निहित है कि उपकरण कैसे काम करते हैं। उन्होंने कहा कि तकनीक की शक्ति केवल उपकरणों या एल्गोरिदम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान देने वाली हर प्रक्रिया, प्रणाली और निर्णय को पुनर्परिभाषित करती है।

तकनीक का उपयोग केवल नए उपकरण जोड़ने के बारे में नहीं है, बल्कि यह हमारे संस्थानों को अधिक चुस्त, पूवार्नुमानित और अनुकूलनशील बनाने और एक ऐसी रक्षा संरचना बनाने के बारे में है, जो निरंतर सिखाती है, तुरंत प्रतिक्रिया देती है और परिवर्तन की गति के साथ निरंतर विकसित होती है। रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि तेज गति वाले डेटा लिंक, एआई-संचालित एल्गोरिदम, क्वांटम कंप्यूटिंग और स्वायत्त प्रणालियां त्वरित आंतरिक प्रक्रियाओं और उन्हें प्रभावी ढंग से आत्मसात करने और लागू करने की मजबूत मानवीय एवं संस्थागत क्षमता के बिना कम हासिल कर पाएंगी।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रक्षा तैयारियां काफी हद तक अदृश्य तकनीकों पर निर्भर करती हैं, जिनमें सुरक्षित डेटा आर्किटेक्चर, एन्क्रिप्टेड नेटवर्क, स्वचालित रखरखाव प्रणालियां और इंटर ऑपरेबल डेटाबेस शामिल हैं। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी नेतृत्व किसी विशिष्ट प्रतिभा से नहीं उभरता, बल्कि एक ऐसे राष्ट्रीय पारिस्थितिकी तंत्र से विकसित होता है। भारत को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि आज रक्षा औद्योगिक आधार नए आत्मविश्वास और स्पष्टता के साथ विस्तार कर रहा है।

डीआरडीओ सशस्त्र बलों, उद्योग और शिक्षा जगत के बीच तालमेल से अनुसंधान, परीक्षण, क्षेत्रीय प्रतिक्रिया और नवाचार का एक सकारात्मक चक्र बन रहा है। रक्षा मंत्री ने सशस्त्र बलों से न केवल उपकरणों से संबंधित तकनीक में, बल्कि प्रशिक्षण, रसद, योजना और प्रबंधन प्रणालियों से संबंधित क्षेत्रों में भी सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं की तलाश में रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सर्वोत्तम उपकरणों का आयात करने की तुलना में सर्वोत्तम प्रथाओं का आयात करना कहीं बेहतर है।

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