संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता पर राजनाथ सिंह की टिप्पणी

By Sabal SIngh Bhati - Editor

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक संस्थाओं में सुधारों पर जोर देते हुए कहा है कि विश्वास के संकट का सामना कर रही यह संस्था मौजूदा वास्तविकताओं के अनुरूप नहीं होने के कारण चुनौतियों से निपटने में विफल रही है। रक्षा मंत्री ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा कि कुछ देश खुलेआम अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन कर अपना दबदबा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। सिंह ने भारतीय सेना द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में यह बात कही।

सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र में शांति सैनिकों का योगदान देने वाले देशों के सेना प्रमुखों को संबोधित करते हुए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के पुराने बहुपक्षीय ढांचे पर सवाल उठाते हुए इसमें सुधारों की वकालत की। उन्होंने कहा- हम आज की चुनौतियों का सामना पुराने बहुपक्षीय ढांचों से नहीं कर सकते। व्यापक सुधारों के बिना, संयुक्त राष्ट्र विश्वास के संकट का सामना कर रहा है।

आज की परस्पर जुड़ी दुनिया के लिए, हमें एक सुधारित बहुपक्षवाद की आवश्यकता है, जो आज की वास्तविकताओं को प्रतिबंबित करे, सभी हितधारकों की आवाज बनें, समकालीन चुनौतियों का समाधान करे और मानव कल्याण पर केंद्रित हो। कुछ देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय नियमों की खुलेआम धज्जी उडाए जाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत पुरानी अंतर्राष्ट्रीय संरचनाओं में सुधार की वकालत करते हुए, अंतर्राष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था को मजबूती से कायम रखने में मजबूती से खड़ा है।

उन्होंने कहा- आजकल, कुछ देश खुलेआम अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, कुछ उन्हें कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि कुछ अपने नियम बनाकर अगली सदी पर अपना दबदबा बनाना चाहते हैं। इन सबके बीच, भारत पुरानी अंतर्राष्ट्रीय संरचनाओं में सुधार की वकालत करते हुए, अंतर्राष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था को मजबूती से कायम रखने में मजबूती से खड़ा है। रक्षा मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुरूप सैन्य योगदान देने वाले देशों की अधिक भूमिका की वकालत करने वाली एक आवाज है।

उन्होंने कहा- जो लोग क्षेत्र में सेवा करते हैं और जोखिम उठाते हैं, उन्हें अपने मिशनों का मार्गदर्शन करने वाली नीतियों को आकार देने में एक सार्थक आवाज मिलनी चाहिए। सिंह ने कहा कि भारत मानता है कि शांति स्थापना की सफलता केवल संख्या पर ही नहीं, बल्कि तैयारियों पर भी निर्भर करती है। यहां स्थित हमारे संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना केंद्र (सीयूएनपीके) ने 90 से अधिक देशों के प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया है।

यह केंद्र व्यापक परिद्दश्य-आधारित शिक्षा प्रदान करता है, इसमें सशस्त्र समूहों के साथ बातचीत, खतरे में मानवीय अभियानों और संकट के दौरान नागरिक सुरक्षा का अनुकरण शामिल है। अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में भारत का विश्वास व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा- भारत के लिए, यह सिर्फ बातचीत का विषय नहीं है, हजारों भारतीय संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले शांति और विकास के लिए काम करते हैं। यह एक प्रमुख उदाहरण है, जो भारत के वादों को प्रदर्शन के साथ जोडऩे के सिद्धांत और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

सिंह ने कहा कि भारत के लिए शांति स्थापना कभी भी एक विकल्प का कार्य नहीं रहा है, बल्कि एक आस्था का विषय रहा है। उन्होंने कहा- अपनी स्वतंत्रता के आरंभ से ही, भारत अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के अपने मिशन में संयुक्त राष्ट्र के साथ द्दढ़ता से खड़ा रहा है। सिंह ने कहा कि भारत महात्मा गांधी की भूमि है, जहां शांति हमारे अहिंसा और सत्य के दर्शन में गहराई से निहित है। महात्मा गांधी के लिए, शांति केवल युद्ध का अभाव नहीं, बल्कि न्याय, सछ्वाव और नैतिक शक्ति की एक सकारात्मक स्थिति थी।

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