नई दिल्ली, 6 जून ()। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे शीर्ष भारतीय पहलवानों के अपनी नौकरी ज्वाइन करने के साथ ही सोशल मीडिया पर कहा जाने लगा कि जो खिलाड़ी अपने मेडल गंगा नदी में बहाने जा रहे थे, वे अपनी नौकरी छोड़ दें।
सोमवार को ओलंपियन बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगट ने इस तरह के सुझावों पर नाराजगी जताई और दावा किया कि जो लोग उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें न्याय के लिए अपनी लड़ाई छोड़ने के लिए मजबूर कर रहे हैं, वे अब उनकी नौकरी छोड़ने की बात कर रहे हैं।
इसी तरह के बयानों में शीर्ष पहलवानों ने दावा किया कि जब जीवन दांव पर है, तब नौकरी तो एक छोटी सी चीज है।
यह बयान कई रिपोर्टों के बाद आया है, जिसमें दावा किया गया है कि शीर्ष पहलवानों ने खुद को आंदोलन से अलग कर लिया है और अपनी सरकारी नौकरियों में फिर से शामिल हो गए हैं।
पहलवानों ने स्पष्टीकरण जारी किया कि उन्होंने रेलवे में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) के रूप में काम फिर से शुरू कर दिया है, लेकिन अपना आंदोलन वापस नहीं लिया है।
उन्होंने कहा, जिन लोगों ने हमारे पदकों को 15-15 रुपये के रूप में खारिज कर दिया था, वे अब हमारी नौकरी के लिए लक्ष्य बना रहे हैं। जब जीवन दांव पर है, ऐसे में नौकरी एक छोटी सी चीज है।
पुनिया, साक्षी मलिक और फोगट ने सोमवार को अपने ट्वीट में लिखा, नौकरी को अगर न्याय की राह में रोड़ा बनते देखा गया तो हम उसे छोड़ने में दस सेकेंड भी नहीं लेंगे।
पहलवानों ने इस बात का जोरदार खंडन किया कि उन्होंने अपना आंदोलन खत्म कर दिया है।
बजरंग पुनिया ने ट्विटर पर एक वीडियो संदेश भी डाला जिसमें लोगों से कहा गया कि अफवाहों और फर्जी दावों पर विश्वास न करें।
अपने वीडियो संदेश में पुनिया ने कहा कि पहलवानों के बीच कोई मनमुटाव नहीं है और बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ न तो उन्होंने अपना आरोप वापस लिया है और न ही अपनी शिकायत।
उन्होंने कहा कि उन्हें बदनाम करने और उनकी एकता को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। वे जल्द ही फैसला लेंगे कि अपना विरोध कहां फिर से शुरू करना है।
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