आत्मनिर्भरता: रक्षा क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान

By Sabal SIngh Bhati - Editor

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आत्मनिर्भरता के विचार को देश की प्राचीन परंपरा का आधुनिक रूप करार देते हुए कहा है कि यह सरकार के लिए केवल नारा भर नहीं, बल्कि रक्षा क्षेत्र की मौजूदा और भविष्य की चुनौतियों से निपटने का माध्यम है। सिंह ने यहां सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्यूफैक्चरर (एसआईडीएम) के वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि प्राचीन समय में भारत को सोने की चिड़यिा कहा जाता था और आत्मनिर्भरता का विचार इसी का आधुनिक रूप है।

आत्मनिर्भरता का जो विचार है, वह हमारी सरकार के लिए सिर्फ एक स्लोगन भर नहीं है, बल्कि भारत की ही पुरानी परंपरा का आधुनिक रूप है। इतिहास में एक समय ऐसा भी था, जब हमारा लगभग हर गांव अपने आप में इंडस्ट्री था। भारत सोने की चिड़यिा इसलिए कहलाता था क्योंकि हम अपनी जरूरतों के लिए बाहर की ओर नहीं देखते थे, उसे अपनी ही जमीन पर पूरा करते थे। रक्षा मंत्री ने कहा कि विनिर्माण और उच्च प्रौद्योगिकी में स्वदेशीकरण को प्राथमिकता देकर सरकार ने उसी परम्परा को आधुनिक रूप देने का प्रयास किया है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने अब निजी क्षेत्र के लिए भी दरवाजे खोल दिये हैं और इसी भरोसे का परिणाम है कि आज देश सेमी कंडक्टर फेब्रिकेशन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में भी मजबूती से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि देश में लगभग 19 फेब्रिकेशन संयंत्र स्थापित हो रहे हैं। मोबाइल फोन विनिर्माण में भी, जहां कभी हम केवल आयातक थे वहां हम अब निर्यातक बन चुके हैं। प्रत्येक क्षेत्र में अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा क्षेत्र सरकार के लिए केवल आर्थिक वृद्धि नहीं बल्कि राष्ट्रीय संप्रभुता का भी आधार है।

उन्होंने कहा कि हमारे लिए रक्षा क्षेत्र केवल आर्थिक वृद्धि का विषय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय संप्रभुता का आधार है। और जब संप्रभुता की बात आती है, तो यह सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि हर नागरिक, हर संगठन और हर उद्योग की सामूहिक जिम्मेदारी बन जाती है। यह बात आज, ऑपरेशन सिंदूर के बाद और भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद स्थितियां कुछ ऐसी बनी कि दुनिया में शांति और कानून व्यवस्था में अनिश्चितता बढ़ गई है और उसे ध्यान में रखते हुए हमें हर क्षेत्र में स्थिति का विश्लेषण कर कदम उठाने होंगे।

उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र और युद्ध के स्वरूप में जो बदलाव हो रहे हैं, उनसे स्वदेशीकरण के माध्यम से ही निपटा जा सकता है। स्वदेशी हथियारों और हथियार प्रणालियों की सफलता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इससे न केवल क्षेत्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की साख बढी है। सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का श्रेय सैनिकों के साथ-साथ पीछे रहकर उस मिशन को सफल बनाने में लगे हुए लोगों को भी जाता है।

उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री वारियर जिन्होंने नवाचार, डिजायन और विनिर्माण के मोर्चे पर बिना थके काम किया वह भी इस जीत के उतने ही हकदार हैं। किसी भी युद्ध जैसी स्थिति के लिए हमें न केवल तैयार रहना है, बल्कि हमारी तैयारी अपनी खुद की बुनियाद पर होनी चाहिए। मुझे इस बात की खुशी है कि हमारी रक्षा इंडस्ट्री इस दिशा में मजबूती से कदम आगे बढ़ा चुकी है। सिंह ने कहा कि जब भी हम बड़ा उपरकण या हथियार खरीदते हैं, तो उसके जीवन चक्र के दौरान के खर्च का अच्छा खासा असर होता है।

इसलिए हमारा लक्ष्य, आपूर्ति श्रंखला या रखरखाव आपूर्ति के क्षेत्र में मजबूती का भी होना चाहिए।

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