पिंडवाड़ा में विजयदशमी के अवसर पर आदर्श विद्या मंदिर स्कूल, उदयपुर रोड के सामने आयोजित रावण दहन कार्यक्रम के दौरान नगर पालिका की भारी लापरवाही सामने आई। रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले दहन से पूर्व की गई आतिशबाजी में सुरक्षा मानकों की अनदेखी साफ तौर पर देखी गई। आतिशबाजी के दौरान पखों की चिंगारियां सीधे दर्शकों पर गिरने लगीं, जिससे अफरा-तफरी का माहौल बन गया। सुरक्षा के इंतज़ाम न होने के कारण कई दर्शकों ने अपने सिर पर कुर्सियां रख लीं, जबकि कुछ लोग हेलमेट पहनकर अपनी जान बचाते नजर आए।
कार्यक्रम स्थल पर पटाखों और दर्शकों के बीच कोई सुरक्षित दूरी सुनिश्चित नहीं की गई थी। सबसे गंभीर बात यह रही कि पूरे कार्यक्रम के दौरान मौके पर कोई अग्निशमन वाहन तैनात नहीं था। यदि कोई दुर्घटना घट जाती, तो बचाव कार्य कैसे होता, यह एक बड़ा प्रश्नचिन्ह बनकर खड़ा है। कार्यक्रम के दौरान आबू-पिंडवाड़ा विधायक समाराम गरासिया, उपखंड अधिकारी नरेंद्र जांगिड़, तहसीलदार शंकरलाल, थानाधिकारी गंगा प्रसाद और नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी महेंद्र राजपुरोहित भी उपस्थित थे। बावजूद इसके, किसी भी अधिकारी ने आतिशबाजी को रोकने अथवा सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।
नगर पालिका अधिशाषी अधिकारी महेंद्र राजपुरोहित ने जानकारी दी कि आतिशबाजी के लिए हिंदुस्तान फायर वर्क को कुल 5 लाख रुपये का टेंडर दिया गया था। कार्यक्रम की कवरेज के लिए पहुंचे स्थानीय मीडिया कर्मियों के लिए कोई बैठक व्यवस्था नहीं की गई। मीडिया प्रतिनिधियों को पूरे कार्यक्रम के दौरान खड़े रहकर रिपोर्टिंग करनी पड़ी। यदि इस लापरवाही के चलते कोई बड़ा हादसा हो जाता, तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होती? यह सवाल अब नगर पालिका और प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों के समक्ष खड़ा हो गया है।