सर्दियों का मौसम आते ही घरों के बगीचे सक्रिय हो जाते हैं। खासकर पालक, जिसे लोग बाजार से खरीदने के बजाय अपने घर में उगाना पसंद करते हैं। लेकिन कई बार महीनों की देखभाल के बावजूद पालक की पत्तियां घनी नहीं होतीं। पौधे छोटे रह जाते हैं और उपज इतनी कम होती है कि एक कटोरी सब्जी भी मुश्किल से बन पाती है। ऐसे में निराश होना स्वाभाविक है। अच्छी पालक उगाने का राज आपकी रसोई में छिपा होता है।
बहुत से लोग समझते हैं कि पौधों की ग्रोथ बढ़ाने के लिए महंगी खाद या नर्सरी का उर्वरक चाहिए, जबकि सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। सिर्फ 5 रुपये की चाय की पत्ती पालक की ग्रोथ को तेजी से बढ़ाती है। पालक एक पत्तेदार सब्जी है जिसे तेजी से बढ़ने के लिए लगातार पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। लेकिन घर के गमलों में समय के साथ मिट्टी अपनी ऊर्जा खो देती है, जिसका पौधे की ग्रोथ पर सीधा असर पड़ता है।
पानी तो नियमित दिया जाता है, लेकिन मिट्टी की गुड़ाई, खर-पतवार हटाना और पोषक तत्वों की पूर्ति अक्सर छूट जाती है। इसका परिणाम यह होता है कि पौधे की जड़ें सख्त मिट्टी में दम घुटने जैसी स्थिति में आ जाती हैं। धीरे-धीरे पत्तियों का आकार छोटा होता जाता है और रंग हल्का पड़ने लगता है। कई बार घर की मिट्टी साधारण होती है, जिसमें नाइट्रोजन की कमी होती है, जो पत्तेदार सब्जियों के लिए आवश्यक है। इसके बिना पालक का पौधा बढ़ नहीं पाता।
यही वह समय होता है जब लोग महंगी खाद खरीदते हैं, जबकि आपकी रसोई की एक छोटी सी चीज भी काम कर सकती है। 5 रुपये की चाय पत्ती से पालक की ग्रोथ में चमत्कारी बढ़ोतरी होती है। चाय की पत्ती में प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है, जो पालक जैसे पौधों की ग्रोथ का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। नाइट्रोजन पत्तों का रंग गहरा, आकार बड़ा और बनावट मुलायम बनाता है। इस्तेमाल की हुई चाय पत्ती जब मिट्टी में मिलती है, तो वह जैविक खाद का रूप ले लेती है।
यह मिट्टी को अम्लीय बनाती है, जो पालक की पसंदीदा मिट्टी है। इससे पौधे पोषक तत्वों को तेजी से अवशोषित कर पाते हैं और कुछ ही दिनों में पत्तियां घनी होने लगती हैं। इसके अलावा, सूखी चाय पत्ती मिट्टी की संरचना को भी बेहतर बनाती है। यह मिट्टी को भुरभुरा करती है, जिससे हवा और पानी जड़ों तक आसानी से पहुंचता है। जड़ें जितनी मजबूत, उतना ही तेजी से पौधा बढ़ता है। यही वजह है कि चाय की पत्ती पालक के लिए सबसे सस्ती और असरदार घरेलू खाद मानी जाती है।
चाय पत्ती का सही इस्तेमाल करने के लिए, जब आप चाय बनाते हैं, तो बची हुई चाय पत्ती को सीधे मिट्टी में न डालें। उसमें मौजूद दूध या चीनी फंगस पैदा कर सकती है। इसलिए चाय पत्ती को 2-3 बार पानी से धोना जरूरी है। धुली हुई पत्ती को एक दिन धूप में फैला दें ताकि नमी खत्म हो जाए। जब पत्ती सूख जाए, तो उसे पालक के पौधे के आसपास छिड़क दें और हल्के हाथों से मिट्टी में मिला दें। पानी डालें ताकि पत्ती नीचे बैठ जाए। इससे यह धीरे-धीरे खाद की तरह काम करने लगती है।
ताजी चाय पत्ती का इस्तेमाल करने के लिए, आधा छोटा चम्मच पत्ती सीधे मिट्टी में मिलाएं। इसे हर 20-25 दिन में दोहराना काफी होता है। कुछ ही दिनों में आपको फर्क दिखने लगेगा। क्या सच में चाय पत्ती से गमला भर सकता है? देशभर के किचन गार्डनर्स का अनुभव है कि चाय पत्ती पालक के लिए किसी जादू से कम नहीं। खासकर सर्दियों में, चाय पत्ती उसे दोगुनी रफ्तार देती है।
कई घरेलू माली बताते हैं कि जहां पहले पालक को कटाई लायक बनने में एक से डेढ़ महीना लगता था, वहीं चाय पत्ती डालने के बाद यह समय कम हो गया। पौधे घने होने लगते हैं और एक ही गमले से कई बार कटाई की जा सकती है। मिट्टी में नमी भी ज्यादा समय तक बनी रहती है, जिससे बार-बार पानी डालने का झंझट कम हो जाता है। बाजार से महंगे यूरिया या कंपोस्ट की जगह सिर्फ 5 रुपये की चाय पत्ती इतना शानदार परिणाम दे सकती है।

