जयपुर। खान विभाग के प्रमुख सचिव टी. रविकान्त ने नीलाम खनिज ब्लॉकों के मंशापत्रधारकों से कहा कि वे आवश्यक अनुमतियां प्राप्त करने की प्रक्रिया में लापरवाही न बरतें और सभी औपचारिकताएं प्राथमिकता से पूर्ण करें, ताकि खानों का संचालन शीघ्र प्रारंभ हो सके। उन्होंने कहा कि आवेदन न करना या अधूरे दस्तावेजों के साथ प्रक्रिया में शामिल होना, खनन कार्य में अनावश्यक देरी का कारण बनता है, जिससे राज्य के निवेश और राजस्व पर प्रतिकूल असर पड़ता है। खान भवन में आयोजित इस बैठक में 13 संस्थाओं के 22 मंशापत्रधारकों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
कहा कि खनिज ब्लॉकों का शीघ्र परिचालन केंद्र और राज्य सरकार दोनों की प्राथमिकता है। इसके लिए विभागीय स्तर पर सघन प्रयास किए जा रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारी, अधीक्षण खनि अभियंता सतर्कता को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है, जो मंशापत्रधारकों को मार्गदर्शन और सहयोग देंगे। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी समय-समय पर विभागीय बैठकों में खनन ब्लॉकों के शीघ्र संचालन के निर्देश दे चुके हैं। इससे न केवल खनन क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि रोजगार और राजस्व के नए अवसर भी सृजित होंगे।
राजस्थान, मेजर मिनरल ब्लॉकों के ऑक्शन में देश में अग्रणी राज्य बन चुका है, विशेषकर लाइमस्टोन ब्लॉकों के मामले में। इन ब्लॉकों के अधिकांश मंशापत्रधारक सीमेंट कंपनियां हैं, लेकिन आवश्यक पर्यावरण, वन, राजस्व और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से संबंधित अनुमतियां प्राप्त करने में हो रही देरी के चलते खानें संचालन में नहीं आ पा रहीं। मंशापत्रधारकों से स्पष्ट कहा कि माइनिंग ब्लॉकों की नीलामी का उद्देश्य केवल राजस्व नहीं, बल्कि जल्द से जल्द इनका संचालन सुनिश्चित करना है।
इसके लिए जरूरी है कि आईबीएम से माइनिंग प्लान, फॉरेस्ट क्लीयरेंस, ईआईए रिपोर्ट, जनसुनवाई, सीटीओ-सीटीई जैसी सभी औपचारिकताएं समयबद्ध तरीके से पूरी की जाएं। बैठक में संयुक्त सचिव माइंस अरविन्द सारस्वत, नोडल अधिकारी पोस्ट ऑपरेशन फेसिलिटेशन प्रताप मीणा, ओएसडी श्रीकृष्ण शर्मा, एसजी सचिवालय से सुनील कुमार वर्मा सहित विभिन्न कंपनियों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।