मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्षी दल भाजपा को एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हिमाचल के लिए घोषित 1500 करोड़ रुपये के राहत पैकेज में से राज्य को अब तक एक पैसा भी नहीं मिला है। उन्होंने भाजपा नेताओं और सांसदों के साथ प्रधानमंत्री से मिलने की इच्छा व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह मंगलवार को दिल्ली जाकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात करेंगे और राज्य की वित्तीय स्थिति से जुड़े मुद्दे उठाएंगे।
उन्होंने बताया कि जीएसटी लागू होने से पहले राज्य को वैट और एक्साइज से हर साल करीब 4,500 करोड़ रुपये की आय होती थी, लेकिन जीएसटी प्रणाली लागू होने के बाद यह आय बहुत कम हो गई है। हिमाचल में एशिया के करीब 35 प्रतिशत फार्मास्यूटिकल उद्योग हैं, लेकिन जीएसटी व्यवस्था के कारण राज्य को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा। पहले बद्दी से सरकार को साढ़े तीन से चार हजार करोड़ रुपये जीएसटी के रूप में मिलते थे, जो अब घटकर मात्र 150 करोड़ रुपये रह गए हैं।
सुक्खू ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना लागू करने के बाद केंद्र सरकार ने हिमाचल की 1,600 करोड़ रुपये की अतिरिक्त ऋण की अनुमति रोक दी थी। उन्होंने निर्मला सीतारमण से इस राशि को दोबारा जारी करने और अतिरिक्त दो प्रतिशत उधारी की अनुमति देने की मांग करने की योजना बनाई है। उन्होंने बताया कि वह 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष से भी मुलाकात करेंगे। भाजपा द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए सुक्खू ने कहा कि मौजूदा सरकार वह कर्ज चुका रही है, जो पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में लिया गया था।
उन्होंने कहा कि 75,000 करोड़ रुपये का कर्ज और उसका ब्याज चुकाने के लिए राज्य को हर माह बड़ी राशि खर्च करनी पड़ रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जयराम ठाकुर सरकार ने प्रदेश की संपत्तियों का दुरुपयोग किया, जबकि उनकी सरकार ने भ्रष्टाचार के रास्ते बंद किए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ काम कर रही है। भाजपा नेताओं को राजनीतिक बयानबाजी छोड़कर हिमाचल के हित में केंद्र से फंड जारी करवाने में सहयोग देना चाहिए।


