नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दीपावली के अवसर पर दिल्ली में ग्रीन पटाखों के निर्माण की अनुमति दी है। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि इन ग्रीन पटाखों को दिल्ली और उससे सटे एनसीआर के क्षेत्रों में नहीं बेचा जा सकता है। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से कहा कि इस मामले में सभी पक्षों से सलाह-मशविरा कर एक संतुलित नीति बनाएं। न्यायालय ने कहा कि हमने पहले पटाखों पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन उस पर सही तरीके से अमल नहीं किया जा सका।
इससे पहले 12 सितंबर को पटाखों पर रोक के मामले पर उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि दिल्ली-एनसीआर तक ही रोक क्यों हो, पूरे देश में क्यों नहीं। न्यायालय ने कहा था कि यदि दिल्ली-एनसीआर के शहरों को स्वच्छ हवा का हक है, तो अन्य शहरों के लोगों को क्यों नहीं। उन्होंने कहा था कि प्रदूषण से निपटने के लिए एक नीति पूरे देश के लिए होनी चाहिए। न्यायालय ने कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 का एक अनिवार्य हिस्सा है। इस अधिकार में प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार भी शामिल है।
उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में 6 मई को पटाखों पर रोक जारी रखते हुए यूपी, राजस्थान और हरियाणा को निर्देश दिया था कि वे दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर लगी रोक को लागू करें। कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा था कि यदि उसके आदेश को लागू नहीं किया गया, तो अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाएगी। इसके पहले 3 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर पूरी तरह से लगाए गए प्रतिबंध को सही ठहराया था।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि ग्रीन पटाखों से न के बराबर प्रदूषण होता है, तब तक बैन के पुराने आदेश में बदलाव का कोई औचित्य नहीं है।
