तेजस विमानों की डिलीवरी में इजरायल से सोर्स कोड की कमी

By Sabal SIngh Bhati - Editor

नई दिल्ली। हिंदुस्तान एयरनॉटिक्स लिमिटेड ने तेजस एमके1-ए की उड़ान पूरी कर ली है। यह भारतीय वायुसेना के जंगी बेड़े का हिस्सा बनने के लिए तैयार है। हालांकि, अब भी इसमें देरी हो सकती है। वजह है इस तेजस में लगने वाला एक सॉफ्टवेयर, जो तेजस को बेहद मारक बना देता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल के साथ समझौते के तहत डीआरडीओ इस रडार का लाइसेंस प्रोडक्शन करता है। यही रडार तेजस विमानों में भी लगाया गया है, लेकिन, तेजस एमके1-ए एक एडवांस विमान है और इसके हथियारों और रडार को कनेक्ट करने में दिक्कत आ रही है।

इस दिक्कत को दूर करने के लिए डीआरडीओ को इस रडार सिस्टम के सोर्स कोड की जरूरत है। हालांकि, यह सोर्स कोड इजरायल के पास है। अब भारत ने इस सोर्स कोड के लिए इजरायल से अनुरोध किया है। देखने की बात यह है कि भारत को यह सोर्स कोड कब तक मिलता है। सॉफ्टवेयर संबंधी मसलों से निपटना आसान होगा हाल ही में एक कार्यक्रम में एचएएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. डीके सुनील ने कहा कि यह लड़ाकू विमान अब संरचनात्मक रूप से तैयार है।

उन्होंने बताया कि इसके रडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (ईडब्ल्यू) प्रणालियों या हथियार क्षमताओं में भविष्य में होने वाले किसी भी एडवांसमेंट के लिए सॉफ्टवेयर संबंधी मसलों से निपटना काफी आसान होगा। यह आत्मविश्वास 17 अक्टूबर को तब सामने आया, जब एचएएल के नासिक संयंत्र में निर्मित पहले तेजस एमके1-ए विमान ने अपनी पहली उड़ान पूरी की। इस जेट में अब उन्नत इजरायली मूल का ईएलटीए ईएल/एम-2052 एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे रडार भी लगना है, जो अभी कई टेस्ट से गुजर रहा है।

क्या है सोर्स कोड, ग्रीन सिग्नल देगा इजरायल डिफेंस डॉट इन की एक रिपोर्ट के अनुसार, तेजस एमके1ए में स्वदेशी अस्त्र एमके1 मिसाइल लगनी है। इसके साथ ही इस लड़ाकू विमान में इजरायली रडार भी लगना है, जिसके सॉफ्टवेयर यानी सोर्स कोड के लिए इजरायल के ग्रीन सिग्नल का इंतजार है, जो अभी तक नहीं मिला है। ईएल/एम-2052 रडार का मुख्य सॉफ्टवेयर ईएल/एम-2052 रडार, जिसे लाइसेंस समझौते के तहत एचएएल द्वारा भारत में बनाया गया है, तेजस एमके1-ए की पुरानी प्रणाली की तुलना में एक महत्वपूर्ण प्रगति है।

यह जेट को दिखाई देने वाली सीमा से परे दूरी पर कथित तौर पर 150 किलोमीटर तक कई लक्ष्यों को ट्रैक करने में सक्षम बनाता है। इसका मुख्य सॉफ्टवेयर और फर्मवेयर मूल डिजाइनर, इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) के स्वामित्व नियंत्रण में है। भारत को हासिल करना होगा रडार का सोर्स कोड दरअसल, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित 110 किलोमीटर की उन्नत हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल अस्त्र एमके1 का दीर्घकालिक एकीकरण है।

अस्त्र को पहले पुराने तेजस एमके1 के लिए मंजूरी दी गई थी, लेकिन यह नए एमके1-ए के साथ परीक्षणों में विफल रहा है। मार्च 2025 में एक परीक्षण कथित तौर पर सॉफ्टवेयर मार्गदर्शन संबंधी गड़बड़ियों के कारण विफल रही। भारतीय मिसाइल को नए इजरायली एईएसए रडार के साथ एकीकृत करने के लिए जटिल सॉफ्टवेयर कोड समायोजन की आवश्यकता है। जिसके बारे में सूत्रों का दावा है कि इसे आईएएल की प्रत्यक्ष स्वीकृति और तकनीकी सत्यापन के बिना अंतिम रूप नहीं दिया जा सकता।

रडार के लिए इजरायल पर निर्भर क्यों हैं रक्षा विश्लेषकों और भारतीय वायु सेना के अधिकारियों ने सवाल उठाया है कि एक भारत निर्मित मिसाइल और एक स्थानीय रूप से निर्मित रडार के सोर्स कोड के लिए तेल अवीव पर निर्भर क्यों हैं। यह समस्या रडार के लिए 2016 के कॉन्ट्रैक्ट में है, जो आईएएफ को सिस्टम के मुख्य सॉफ्टवेयर पर नियंत्रण प्रदान करता है। एचएएल की नासिक सुविधा अभी भी इस महत्वपूर्ण सत्यापन की प्रतीक्षा कर रही है, इसलिए विमान की पूर्ण परिचालन मंजूरी अब अपने मूल दिसंबर 2025 के लक्ष्य से आगे विलंबित होने की संभावना है। डॉ.

सुनील ने सार्वजनिक रूप से इस देरी की पुष्टि की है। उन्होंने कहा- अब केवल अस्त्र मिसाइल में कुछ सॉफ्टवेयर परिवर्तनों की स्वीकृति का इंतजार है। फ्रांस और अमेरिका की तरह क्या आएंगी अड़चनें इससे पहले भारत को राफेल का सोर्स कोड हासिल करने में फ्रांस से काफी दिक्कतें आई थीं। फ्रांस ने अभी तक राफेल फाइटर का सोर्स कोड भारत को नहीं दिया है। वहीं, अमेरिका की फाइटर जेट इंजन बनाने वाली कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक भी आए दिन आनाकानी करती रहती है।

वह समय पर भारत को इंजनों की आपूर्ति नहीं कर पाई है, जिससे भारत के फाइटर जेट्स का बेड़ा तैयार नहीं हो पाया। मगर, भारत ने रूस, जर्मनी और कई और देशों के साथ सौदे करके इसकी काट निकाल ली। उसने कई फाइटर्स डेवलप कर लिए। 2029 तक आएंगे 83 तेजस विमान भारतीय वायुसेना अपने पुराने मिग-21 स्क्वाड्रनों की जगह 2029 तक 83 तेजस एमके1ए जेट विमानों की आपूर्ति की उम्मीद कर रही है। वायुसेना पहले भी अपनी चिंता जता चुकी है।

पूर्व एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने तो अगली पीढ़ी के तेजस एमके2 को प्राथमिकता देने का सुझाव भी दिया था।

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