राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने राज्य की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सरकार ने चुनाव से पहले जनता से किए वादों को भुला दिया है और अब स्कूली बच्चों की यूनिफार्म के लिए दी जाने वाली सहायता राशि में कटौती कर गरीब परिवारों के साथ अन्याय किया जा रहा है। जूली ने कहा कि सरकार न तो सुरक्षित स्कूली भवन उपलब्ध करा पा रही है, न ही आवश्यकतानुसार शिक्षक नियुक्त कर पा रही है, और अब बच्चों की ड्रेस पर भी भेदभाव कर रही है।
टीकाराम जूली ने बताया कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में छात्रों को दो जोड़ी यूनिफार्म का कपड़ा और 200 रुपये सिलाई के लिए दिए जाते थे। उस समय भाजपा ने इस योजना की आलोचना करते हुए कहा था कि 200 रुपये में ड्रेस की सिलाई संभव नहीं है। लेकिन अब भाजपा सरकार ने खुद ही सहायता राशि में भारी कटौती कर दी है।
जूली के अनुसार, भाजपा ने अपने चुनाव संकल्प पत्र में 1200 रुपये की वार्षिक सहायता राशि देने का वादा किया था, जो अब घटाकर मात्र 600 रुपये कर दी गई है, जिसमें कपड़ा और सिलाई दोनों की राशि शामिल है। नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने इस योजना में भी सामाजिक वर्गों के बीच भेदभाव किया है। उन्होंने बताया कि अब यह सहायता राशि केवल एससी, एसटी और बीपीएल वर्ग के बच्चों के लिए रखी गई है, जबकि ईडब्ल्यूएस (EWS) और ओबीसी वर्ग के गरीब बच्चों को इससे बाहर कर दिया गया है।
जूली ने सवाल उठाया कि क्या ओबीसी या सामान्य वर्ग में गरीब बच्चे नहीं हैं? क्या सरकार की उनके प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं है? उन्होंने कहा कि यह निर्णय संविधान के समानता के सिद्धांत के विपरीत है। जूली ने कहा कि “सबका साथ, सबका विकास” का नारा देने वाली भाजपा सरकार की असलियत अब सामने आ गई है। एक ओर सरकार दावा करती है कि राज्य में धन की कोई कमी नहीं है, वहीं दूसरी ओर बच्चों की छोटी-छोटी योजनाओं में कटौती कर रही है।
उन्होंने इसे गरीबों के हितों पर सीधा प्रहार बताया और कहा कि यह सरकार अमीरों के हित में काम कर रही है, जबकि गरीबों को और कमजोर बना रही है। नेता प्रतिपक्ष ने सरकार से मांग की है कि वह अपने वादे के अनुसार स्कूली बच्चों के लिए सहायता राशि को फिर से 1200 रुपये प्रति वर्ष करे और इस योजना में EWS और ओबीसी वर्ग के बच्चों को भी शामिल किया जाए।
जूली ने कहा कि समाज के हर वर्ग के बच्चों को समान शिक्षा और आर्थिक अवसर मिलना चाहिए ताकि वे राज्य और देश का नाम रोशन कर सकें।

