लेह में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और बंद के दौरान युवाओं के एक समूह के हिंसक हो जाने और पथराव करने के बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, लेह में हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई है। इस हिंसक प्रदर्शन में करीब 30 लोग घायल हुए हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने चार दिवसीय लद्दाख महोत्सव के अंतिम दिन का कार्यक्रम रद्द कर दिया।
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने एक बयान जारी कर कहा कि स्थिति के चलते समापन समारोह को रद्द करना पड़ा है। बुधवार को यह विरोध प्रदर्शन छठी अनुसूची के विस्तार के साथ-साथ लद्दाख को राज्य का दर्जा देने पर केंद्र के साथ प्रस्तावित वार्ता को आगे बढ़ाने की मांग के समर्थन में किया गया था। केंद्र और लद्दाख के प्रतिनिधियों में लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के सदस्य शामिल हैं। इनके बीच 6 अक्टूबर को नए दौर की वार्ता निर्धारित है।
इससे पहले लेह एपेक्स बॉडी की युवा शाखा ने विरोध और बंद का आह्वान किया था, क्योंकि 10 सितंबर से 35 दिनों की भूख हड़ताल पर बैठे 15 लोगों में से दो को मंगलवार शाम को हालत बिगड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के नेतृत्व में यह भूख हड़ताल भी क्षेत्र में चल रहे आंदोलन का हिस्सा थी।
लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर किए गए विरोध प्रदर्शन के दौरान लेह में भाजपा कार्यालय में आग लगा दी गई, जो पुलिस के साथ झड़प में बदल गया। पुलिस ने व्यवस्था बहाल करने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं। लेह में पांच या अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे स्थानीय लोगों के विरोध प्रदर्शन के बाद जिला मजिस्ट्रेट के आदेश के अनुसार लेह में पूर्व लिखित अनुमति के बिना कोई जुलूस, रैली या मार्च नहीं निकाला जाएगा। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और एनसी के विधायक तनवीर सादिक ने लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में सरकार की विफलताओं की आलोचना करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पूर्ण राज्य की मांग (स्टेटहुड) बहाल नहीं किया गया, सिर्फ इसलिए कि भाजपा चुनाव नहीं जीत पाई। यह जनता के साथ नाइंसाफी है।