नयी दिल्ली , 27 जून ()। सुप्रीम कोर्ट ने मिशनरी संस्थानों और पादरियों पर बढ़ते हमलों के संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई करने पर सोमवार को अपनी सहमति दे दी।
याचिकाकर्ता बेंगलुरु के आर्चबिशप, नेशनल सॉलिडेरिटी फोरम और इवैनजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया की ओर वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्विस ने इसे जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे बी पारदीवाला की अवकाश पीठ के समक्ष पेश किया।
वकील ने कहा कि देशभर में हर माह मिशनरी संस्थानों और पदारियों पर 40 से 50 हमले होते हैं। उन्होंने 2018 में नफरत के कारण की जाने हिंसा पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों को लागू करने पर भी जोर दिया।
उन्होंने खंडपीठ को बताया कि मई में 50 से अधिक हमले किए गए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा हो रहा है तो यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। अवकाश पीठ ने कहा कि ग्रीष्मावकाश के बाद सुप्रीम कोर्ट के खुलते ही इस याचिका पर सुनवाई होगी। इस मामले पर 11 जुलाई को सुनवाई हो सकती है।
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने तहसीन पूनावाला मामले में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नफरत के कारण की जाने वाली हिंसा, गौरक्षकों के हंगामे और लिंचिंग की घटनाओं को शुरूआत में ही खत्म कर देना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पुलिस निरीक्षक या उससे उपर के रैंक के एक अधिकारी को हर जिले में नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त करना चाहिए। एक डीएसपी रैंक का अधिकारी उस नोडल अधिकारी को भीड़ द्वारा की जाने वाले हिंसा और लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए टास्क फोर्स के गठन में मदद करेगा।
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