51 Shakti Peeth: देवी के इक्‍यावन शक्तिपीठ

Kheem Singh Bhati
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देवी के इक्‍यावन शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth of Goddess)

51 Shakti Peeth: देवी के इक्‍यावन शक्तिपीठ : प्रजापति दक्ष ने शिवजी से अपमानित हो बृहस्पति नामक एक यज्ञ का आरम्भ किया। दक्ष ने उस यज्ञ में शिवजी और अपनी कन्या व शिवजी की पत्नी देवी सती को छोड़कर सभी देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया।

पिता के घर में महायज्ञ समारोह हो रहा है, यह सुनकर सती ने निमंत्रण नहीं पाने पर भी वहाँ जाकर यज्ञ देखना चाहा और शिवजी से अपना अभिप्राय प्रकट किया। शिवजी पहले तो राजी न हुए, परंतु सती के विशेष आग्रह करने पर उन्हें जाने की अनुमति दे दी।

सती अपने अनुचरों के साथ पिता के घर पहुंचीं तो दक्ष ने किसी प्रकार उनका सम्मान नहीं किया। केवल इतना ही नहीं, वे क्रोध से अधीर होकर शिवजी की निंदा करने लगे।

सती को पिता के मुख से पति की इस प्रकार की निंदा सुनकर सहन नहीं हुआ। वे यज्ञ कुंड में कूद गईं। शिवजी इस वृत्तान्त को सुनकर अधीर हो गए और वहां पहुंच गए, वीरभद्रादि अनुचरों के साथ जाकर दक्ष को मार डाला और यज्ञ को विध्वंस कर दिया।

शिवजी ने सती की मृत देह को कन्धे पर रख चारों ओर उद्भट भाव में घूमना शुरू कर दिया। भगवान् विष्णु ने इसे देखते हुए अपने चक्र से सती का अङ्ग-प्रत्यङ्ग काट डाला। अङ्ग-प्रत्यङ्ग इक्यावन खण्डों में विभक्त हो गए, और जहाँ जहाँ वे गिरे थे, वहाँ एक-एक शक्ति स्थापित हुई। इन स्थानों का नाम महापीठ पड़ा।

देवी के इक्‍यावन शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth of Goddess)

देवी के इक्‍यावन शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth of Goddess)
देवी के इक्‍यावन शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth of Goddess)

किस-किस स्थान पर कौन-कौन अङ्ग गिरा था तथा कौन-कौन भैरव और शक्ति वहाँ रहती हैं, तंत्रचूड़ामणि में इस विषय में जो कुछ लिखा है, देवी के इक्‍यावन शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth of Goddess) तालिका निम्नलिखित है-

देवी के इक्‍यावन शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth of Goddess)

  • 1- हिंगुल या हिंगलाज, कराची, पाकिस्तान से लगभग 125 किमी उत्तर-पूर्व में स्‍थित है यहां देवी का ब्रह्मरंध्र (सिर का ऊपरी भाग) गिरा। यहां देवी कोट्टरी नाम से स्‍थापित हैं।
  • 2- शर्कररे, कराची पाकिस्तान के सुक्कर स्टेशन के निकट मज्ञैजूद है वैसे इसे नैनादेवी मंदिर, बिलासपुर में भी बताया जाता है। यहां देवी की आंख गिरी थी और वे महिष मर्दिनी कहलाती हैं।
  • 3- सुगंध, बांग्लादेश में शिकारपुर, बरिसल से 20 किमी दूर सोंध नदी के किनारे गिरी देवी की नासिका और उनका नाम है सुनंदा।
  • 4- अमरनाथ, पहलगांव, काश्मीर के पास देवी का गला गिरा था और वे यहां महामाया के रूप में स्‍थापित हैं।
  • 5- ज्वाला जी, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश में हैं जहां देवी की जीभ गिरी थी उनका नाम पड़ा सिधिदा या अंबिका।
  • 6- जालंधर, पंजाब में छावनी स्टेशन निकट देवी तलाब में उनका बांया वक्ष गिरा और वे त्रिपुरमालिनी नाम से स्‍थापित हुईं।
  • 7- अम्बाजी मंदिर, गुजरात में देवी का हृदय गिरा था और वे अम्बाजी कहलाईं।
  • 8- गुजयेश्वरी मंदिर, नेपाल, में पशुपतिनाथ मंदिर के साथ ही है जहां देवी के दोनों घुटने गिरे बताये जाते हैं। यहां देवी का नाम महाशिरा है।
  • 9- मानस, कैलाश पर्वत, मानसरोवर, में तिब्ब्त के निकट एक पाषाण शिला के रूप में मौजूद हैं देवी। यहां उनका दायां हाथ गिरा और वे दाक्षायनी कहलाईं।
  • 10- बिराज, उत्कल, उड़ीसा में देवी की नाभि गिरी और वे विमला बनीं।
  • 11- गंडकी नदी के तट पर, पोखरा, नेपाल में मुक्तिनाथ मंदिर में देवी का मस्तक गिरा और वे गंडकी चंडी कहलाईं।
  • 12- बाहुल, अजेय नदी तट, केतुग्राम, कटुआ, वर्धमान जिला, में पश्चिम बंगाल से 8 किमी दूर बहुला देवी हैं जहां देवी का बायां हाथ गिरा था।
  • 13- उज्जनि, गुस्कुर स्टेशन से वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल में दायीं कलाई गिरी और मंगल चंद्रिका देवी की स्‍थापना हुई।
  • 14- माताबाढ़ी पर्वत शिखर, निकट राधाकिशोरपुर गाव, उदरपुर, त्रिपुरा में दायां पैर गिरा और देवी त्रिपुर सुंदरी बनीं।
  • 15- छत्राल, चंद्रनाथ पर्वत शिखर, निकट सीताकुण्ड स्टेशन, चिट्टागौंग जिला, बांग्लादेश में गिरी दांयी भुजा और नाम पड़ा भवानी।
  • 16- त्रिस्रोत, सालबाढ़ी गांव, बोडा मंडल, जलपाइगुड़ी, पश्चिम बंगाल में मां का बायां पैर गिरा और वे भ्रामरी देवी कहलाईं।
  • 17- कामगिरि, कामाख्या, नीलांचल पर्वत, गुवाहाटी, असम में उनकी योनि गिरी और वे कामाख्या रूप में प्रसिद्ध हुईं।
  • 18- जुगाड़्या, खीरग्राम, वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल में दायें पैर का अंगूठा गिरा और नाम मिला जुगाड्या।
  • 19- वहीं कालीपीठ, कालीघाट, कोलकाता में दायें पैर का अंगूठा गिरा और वे मां कालिका बनीं।
  • 20- प्रयाग, संगम, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में मां ललिता के हाथ की अंगुली गिरी।
  • 21- जयंती नाम से स्‍थापित है कालाजोर भोरभोग गांव, खासी पर्वत, जयंतिया परगना, सिल्हैट जिला, बांग्लादेश में देवी जहां उनकी बायीं जंघा गिरी।
  • 22- किरीट नाम से ही स्‍पष्‍ट है कि किरीटकोण ग्राम, मुर्शीदाबाद जिला, पश्चिम बंगालमें देवी का मुकुट गिरा और वे विमला कहलाईं।
  • 23- मणिकर्णिका घाट, काशी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश में उनकी मणिकर्णिका गिरी और वे विशालाक्षी और मणिकर्णी रूप में प्रसिद्ध हुईं।
  • 24- कन्याश्रम, भद्रकाली मंदिर, कुमारी मंदिर, तमिल नाडु में देवी की पीठ गिरी और वे श्रवणी कहलाईं।
  • 25- कुरुक्षेत्र, हरियाणा में गिरी एड़ी और माता सावित्री का मंदिर स्‍थापित हुआ।
  • 26- मणिबंध, गायत्री पर्वत, पुष्कर, अजमेर में देवी की दो पहुंचियां गिरी थीं। यहां देवी का नाम है गायत्री।
  • 27- श्री शैल, जैनपुर गांव, के पास सिल्हैट टाउन, बांग्लादेश में देवी का गला गिरा, यहां उनका नाम महालक्ष्मी है।
  • 28- कांची, कोपई नदी तट पर पश्चिम बंगाल में देवी की अस्थि गिरी और वे देवगर्भ रूप में स्‍थापित हैं।
  • 29- मध्य प्रदेश के अमरकंटक में कमलाधव नाम के स्‍थान पर शोन नदी के किनारे एक गुफा में, मां काली स्‍थापित हैं जहां उनका बायां नितंब गिरा।
  • 30- शोन्देश, अमरकंटक, मध्य प्रदेश में उनका दायां नितंब गिरा और नर्मदा नदी का उद्गम होने के कारण देवी नर्मदा कहलाईं।
  • 31- रामगिरि, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश में दायां वक्ष गिरा नाम पड़ा शिवानी।
  • 32- वृंदावन, भूतेश्वर महादेव मंदिर के पास उत्तर प्रदेश में दवी के केशों का गुच्छ और चूड़ामणि गिरी। वे यहां उमा नाम से प्रसिद्ध हुईं।
  • 33- शुचि, शुचितीर्थम शिव मंदिर के पास कन्याकुमारी, तमिल नाडु में ऊपरी दाढ़ गिरी नाम पड़ा नारायणी।
  • 34- वहीं पंचसागर में उनकी निचली दाढ़ गिरी नाम पड़ा वाराही।
  • 35- बांग्लादेश के करतोयतत, भवानीपुर गांव में उनकी बायीं पायल गिरी और वे अर्पण नाम से जानी गई।
  • 36- श्रीशैलम, कुर्नूल जिला आंध्र प्रदेश में दायीं पायल गिरी और स्‍थापित हुईं देवी श्री सुंदरी।
  • 37- पश्चिम बंगाल के विभाष, तामलुक, पूर्व मेदिनीपुर जिला में देवी कपालिनी (भीमरूप) की बायीं एड़ी गिरी।
  • 38- प्रभास, जूनागढ़ जिला, गुजरात में देवी चंद्रभागा का आमाशय गिरा।
  • 39- भैरव पर्वत पर क्षिप्रा नदी के किनारे उज्जयिनी, मध्य प्रदेश में देवी के ऊपरी होंठ गिरे यहां वे अवंति नाम से जानी जाती हैं।
  • 40- जनस्थान, नासिक, महाराष्ट्र में ठोड़ी गिरी और देवी भ्रामरी रूप में स्‍थापित हुईं।
  • 41- सर्वशैल राजमहेंद्री, आंध्र प्रदेश में उनके गाल गिरे और देवी को नाम मिला राकिनी या विश्वेश्वरी।
  • 42- बिरात, राजस्थान में उनके बायें पैर की उंगुली गिरी। देवी कहलाईं अंबिका।
  • 43- रत्नावली, हुगली, पश्चिम बंगाल में देवी का दायां कंघा गिरा और उनका नाम है कुमारी।
  • 44- मिथिला, भारत-नेपाल सीमा पर देवी उम का बायां कंधा गिरा था।
  • 45- नलहाटी, बीरभूम, पश्चिम बंगाल में पैर की हड्डी गिरी और देवी का नाम पड़ा कलिका देवी।
  • 46- कर्नाट में देवी जय दुर्गा के दोनों कान गिरे।
  • 47- वक्रेश्वर पश्चिम बंगाल में भ्रूमध्य गिरा और वे कहलाईं महिषमर्दिनी।
  • 48- यशोर, ईश्वरीपुर, खुलना जिला, बांग्लादेश हाथ एवं पैर यशोरेश्वरी
  • 49- अट्टहास, पश्चिम बंगाल में फुल्‍लारा देवी के होंठ गिरे।
  • 50- नंदीपुर, पश्चिम बंगाल में मां नंदनी के गले का हार गिरा था।
  • 51- लंका में अज्ञात स्‍थान पर, (एक मतानुसार, मंदिर ट्रिंकोमाली में है, पर पुर्तगली बमबारी में ध्वस्त हो चुका है और महज एक स्तंभ शेष है। यह प्रसिद्ध त्रिकोणेश्वर मंदिर के निकट है) देवी की पायल गिरी यहां वे इंद्रक्षी कहलाती हैं।

देवी के इक्‍यावन शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth of Goddess)

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देवी के इक्‍यावन शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth of Goddess)

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