झारखंड सरकार की नियोजन नीति पर विधानसभा में भाजपा का हंगामा

Sabal Singh Bhati
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रांची, 20 दिसंबर ()। झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को विपक्ष ने सरकार की नियोजन नीति (रिक्रूटमेंट पॉलिसी) पर जोरदार हंगामा किया। भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने इसे राज्य के बेरोजगारों के साथ खिलवाड़ बताते हुए सदन के अंदर-बाहर प्रदर्शन किया।

सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले विधानसभा के मुख्य द्वार पर भाजपा विधायकों ने हाथों में तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया। उन्होंने फर्जी नियोजन नीति बनानेवाली सरकार शर्म करो, झारखंड के बेरोजगार नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना बंद करो जैसे नारे भी लगाए।

भाजपा विधायक राज सिन्हा ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार ने फर्जी नियोजन नीति बनाकर राज्य के युवाओं को ठगने का काम किया है। यही वजह है कि हाईकोर्ट ने इस नीति का असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया है। भाजपा पहले से यह कह रही थी कि सरकार ने जिस तरह की नीति बनाई है, वह संविधान के जरिए हर नागरिक को दिए गए मौलिक अधिकारों का हनन है।

विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि इस सरकार में जनहित के नहीं, बल्कि स्वहित के काम हो रहे हैं। हर वर्ष 5 लाख नौकरी देने का वादा कर सत्ता में आई सरकार तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी इस मोर्चे पर फेल है। विधायक अमर बाऊरी ने कहा कि राज्य सरकार सिर्फ अपनी विफलता को छिपाने के लिए गलत नीतियां बना रही है। जब कोर्ट से उनकी गलत नीतियां खारिज हो जाती हैं तो वह राजभवन जाने का नाटक करती है।

दूसरी तरफ राज्य की सत्ता में साझीदार कांग्रेस के विधायकों ने भी विधानसभा के मुख्य द्वार के सामने आरएसएस और भाजपा के रवैए पर विरोध जताते हुए धरना दिया। कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह, इरफान अंसारी और अम्बा प्रसाद कहा कि झारखंड में आरएसएस का विभाजनकारी एजेंडा नहीं चलेगा। यह सच है कि कोर्ट ने नियोजन नीति को रद कर दिया लेकिन सरकार इसे लेकर नए रास्ते की तलाश कर रही है। भाजपा के लोग इसे लेकर अनर्गल प्रलाप कर रहे है।

कांग्रेस विधायकों ने कहा कि आज ही मुख्यमंत्री सभी दलों के विधायकों के साथ राज्यपाल से मिलने जा रहे हैं। राज्यपाल से 1932 खतियान पर आधार डोमिसाइल पॉलिसी और ओबीसी आरक्षण बढ़ाने के बिल पर जल्द सहमति देने का आग्रह किया जाएगा। जनहित के इन मुद्दों पर सरकार के साथ कदम मिलाने के बजाय भाजपा के लोग विभेद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।

एसएनसी/एसकेपी

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