2023 में कर्नाटक में पूर्ण बहुमत से भाजपा बनाएगी सरकार : प्रल्हाद जोशी

Sabal Singh Bhati
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नई दिल्ली, 29 दिसंबर ()। केंद्रीय संसदीय कार्य, कोयला और खान मंत्री एवं कर्नाटक के धारवाड़ से लोक सभा सांसद प्रल्हाद जोशी ने दावा किया है कि 2023 का आने वाला नया साल भाजपा के लिए 2022 से भी कहीं ज्यादा बेहतर और शानदार होगा।

के साथ खास बातचीत करते हुए केंद्रीय मंत्री जोशी ने अपने गृह राज्य कर्नाटक में 2023 में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने का दावा करने के साथ ही विपक्षी एकता, कांग्रेस के दावे और मोदी सरकार की उपलब्धियों सहित तमाम पहलुओं पर खुलकर अपनी बात कही।

पेश है इस खास बातचीत के कुछ अंश –

सवाल : 2023 में जिन 9 राज्यों में चुनाव होना तय है उसमें आपका गृह राज्य कर्नाटक भी है। चुनावों के लिहाज से 2023 भाजपा के लिए कैसा रहने वाला है?

जवाब : 2022 भाजपा के लिए जैसा रहा, 2023 उससे भी ज्यादा बेहतर रहने वाला है। कर्नाटक सहित सभी जगह जनता भाजपा के साथ है और भाजपा का ही साथ देगी।

सवाल : लेकिन खासतौर से आपके गृह राज्य कर्नाटक की बात करें, जहां पिछली बार 2018 में भाजपा बहुमत हासिल करने से चूक गई थी। 2023 में कर्नाटक में होने वाले विधान सभा चुनाव को लेकर आपका क्या आकलन है?

जवाब : कर्नाटक के इस बार के विधान सभा के चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन 2018 की तुलना में कहीं ज्यादा बेहतर और शानदार होगा। भाजपा राज्य में अपने दम पर पूर्ण बहुमत हासिल कर सरकार बनाएगी।

सवाल : सरकार की उपलब्धियों की बात करें तो आपके अनुसार 2022 की सबसे बड़ी उपलब्धियां क्या-क्या रही है ?

जवाब : जी-20 की अध्यक्षता हासिल करना सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। दो सौ करोड़ से ज्यादा कोविड वैक्सीनेशन भी बड़ी उपलब्धि है। भारत दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है। भारत गरीबों के कल्याण के लिए दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य वितरण कार्यक्रम चला रहा है। यह हमारी सरकार की बड़ी उपलब्धियों में शामिल हैं। देखिए, सरकार की उपलब्धियां तो बहुत हैं, सभी उपलब्धियां गिनाने में समय कम पड़ जायेगा।

सवाल : आप जहां सरकार की अनगिनत उपलब्धियों की बात कर रहे हैं तो वहीं विपक्षी दल खासकर कांग्रेस ने आपकी सरकार के कामकाज के खिलाफ लगातार मोर्चा खोल रखा है। सड़क पर उतर कर भाजपा सरकार को घेरा जा रहा है।

जवाब : देखिए, इसमें कुछ भी नया नहीं है। 2014 में जबसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली है तभी से उनके अंदर नकारात्मकता भर गई है। देश की जनता ने नरेंद्र मोदी को जनादेश देकर प्रधानमंत्री बनाया है यह बात कांग्रेस मानने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं है। यही उनकी समस्या है।

सवाल : लेकिन आपकी सरकार के खिलाफ एक बार फिर से विपक्षी एकता की बात होने लगी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हो या तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव हों या भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे राहुल गांधी, ये सब मोदी सरकार के खिलाफ हुंकार भर रहे हैं?

जवाब : हम भी चाहते हैं कि वे सब (विपक्षी दल) एक हो जाएं लेकिन वो एक होते ही नहीं है तो हम क्या करें। मैं तो विपक्ष के सभी दलों से अनुरोध करूंगा कि वो एकजुट हो ही जाएं। हमारा (भाजपा) और हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी मानना है कि लोकतंत्र में एक सक्षम और मजबूत विपक्ष रहना चाहिए।

सवाल : राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस के नेता अब आजादी के आंदोलन की विरासत की बात करने लगे हैं। इनका कहना है कि देश को आजादी दिलाने के आंदोलन में भाजपा या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परिवार का कोई योगदान नहीं रहा है, वो लड़ाई तो कांग्रेस ने लड़ी थी।

जवाब : मैं इस पर सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि आज की कांग्रेस स्वतंत्रता आंदोलन की जिस विरासत पर अपना दावा जता रही है वो पूरी तरह से गलत है। आजादी के आंदोलन के समय जो कांग्रेस थी वो कांग्रेस अलग थी, ओरिजिनल थी लेकिन आज की वर्तमान कांग्रेस उससे बिल्कुल अलग है, डुप्लीकेट कांग्रेस है। मैं कांग्रेस के नेताओं से सवाल पूछता हूं कि अगर आज की कांग्रेस आजादी के आंदोलन वाली कांग्रेस ही है तो इन्होंने वल्लभ भाई पटेल और सुभाष चन्द्र बोस जैसे बड़े नेताओं को नजरअंदाज क्यों किया? सिर्फ जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी का ही नाम क्यों लेते हैं? सिर्फ कांग्रेस नाम रखने से यह पार्टी आजादी के आंदोलन वाली कांग्रेस नहीं बन सकती। यह सरदार पटेल और बाबा साहेब अंबेडकर जैसे नेताओं की विरासत पर अपना दावा नहीं जता सकते हैं।

सवाल : आप संसदीय मंत्री कार्य मंत्री भी हैं। 2022 में विपक्षी दलों ने लगातार यह आरोप लगाया कि सरकार सदन चलाना ही नहीं चाहती है। सरकार वर्ष में दो सौ दिन सदन नहीं चला रही हैं और यहां तक कि आप लोग लगातार संसद सत्र को समय से पहले ही स्थगित कर दे रहे हैं?

जवाब : जहां तक संसद सत्र के समय से पहले खत्म होने का सवाल है, यह डिमांड तो विपक्ष की तरफ से ही आ रहा है और हम उनकी मांग को ही मान रहे हैं। लेकिन वो बाहर आकर इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने लग जाते थे इसलिए इस बार जब विपक्ष की तरफ से डिमांड आया कि संसद सत्र को 23 दिसंबर को ही खत्म कर दिया जाए तो हमने उनसे कहा कि आप आधिकारिक रूप से अपनी मांग को रिकॉर्ड पर दे दो। इसके बाद उन्होंने संसद सत्र को जल्द खत्म करने की अपनी मांग रिकॉर्ड पर बीएसी की बैठक में रखा और सरकार ने इसे मान लिया।

एसटीपी/एसकेपी

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