बीआरएस ने सिंगरेनी कोयला खदानों की नीलामी के खिलाफ प्रदर्शन का किया आह्ववान

Sabal SIngh Bhati
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हैदराबाद, 7 अप्रैल ()। भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) की कोयला खदानों की नीलामी के केंद्र के फैसले के खिलाफ शनिवार को महाधरना का आह्वान किया है। तेलंगाना की सत्तारूढ़ पार्टी ने ऐसे दिन विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विभिन्न परियोजनाओं की शुरुआत करने और एक जनसभा को संबोधित करने के लिए हैदराबाद में होंगे।

बीआरएस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 नवंबर, 2022 को अपनी रामागुंडम यात्रा के दौरान आश्वासन दिया था कि सिनाग्रेनी का निजीकरण नहीं किया जाएगा, लेकिन वह अपने वादे पर कायम नहीं रहे।

बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष और मंत्री के.टी. रामा राव ने सवाल किया कि मोदी शनिवार को राज्य के अपने दौरे के दौरान इसका जवाब कैसे देंगे।

केटीआर ने नीलामी प्रक्रिया को रोकने की मांग की। उन्होंने यह भी मांग की कि एससीसीएल को बिना नीलामी के खदानें आवंटित की जानी चाहिए।

सिंगरेनी कर्मचारियों के साथ बीआरएस नेता और कार्यकर्ता शनिवार को मनचेरियल, कोठागुडेम और रामागुंडम में केंद्र के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे।

केटीआर ने पूछा कि जब एससीसीएल उत्पादन, लाभ और प्लांट लोड फैक्टर (पीएलएफ) के मामले में रिकॉर्ड स्थापित कर रहा है, तो उसकी नीलामी की क्या जरूरत है।

एक बयान में, बीआरएस नेता ने एससीसीएल के आर्थिक महत्व, एससीसीएल का निजीकरण करके तेलंगाना के विकास को बाधित करने की केंद्र की साजिश, राज्य के विभिन्न वर्गों पर इसके निजीकरण के विनाशकारी प्रभाव और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बात की।

पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र कोयला खदानों का आवंटन नहीं कर लाभ कमा रहे सिंगरेनी को घाटे में धकेलने की साजिश कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने लाभ में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की कई इकाइयों को बेच दिया। विजाग स्टील प्लांट (वीएसपी) को खानों का आवंटन नहीं करके घाटे में धकेल दिया गया। केटीआर ने कहा कि तेलंगाना केंद्र की साजिश का पुरजोर विरोध करेगा।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और बीआरएस अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव ने पहले ही केंद्र को पत्र लिखकर कहा था कि एससीसीएल के लिए आवश्यक कोयला खदानें उसे आवंटित की जाएं। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि सिंगरेनी के कर्मचारियों ने भी यही मांग रखी है। उन्होंने कहा कि खदानों की नीलामी के पहले के प्रयासों पर निजी कंपनियों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। केटीआर ने कहा, हालांकि तेलंगाना सरकार ने पिछले कई सालों से केंद्र सरकार से सिंगरेनी को खदान आवंटित करने का आग्रह किया था, लेकिन केंद्र ने इसे अनसुना कर दिया।

उन्होंने याद दिलाया कि नामांकन पद्धति के बाद बड़ी संख्या में लिग्नाइट खदानें गुजरात खनिज विकास निगम (जीएमडीसी) को आवंटित की गई थीं। हालांकि, केटीआर ने कहा कि एससीसीएल को खदान आवंटित करने के उसी अनुरोध पर केंद्र ने विचार नहीं किया। मंत्री ने कहा कि गुजरात के प्रति उदार रहे प्रधानमंत्री ने तेलंगाना के साथ भेदभाव किया।

केटीआर ने कहा कि एससीसीएल के निजीकरण का प्रयास किसानों को 24 घंटे मुफ्त बिजली देने के सीएम केसीआर के संकल्प को चोट पहुंचाना है। यह कहते हुए कि सिंगरेनी राज्य में थर्मल पावर उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यह कृषि जरूरतों, उद्योगों और घरेलू आवश्यकताओं को उच्च गुणवत्ता वाली बिजली प्रदान करता है, उन्होंने कहा कि केंद्र बाधाएं पैदा कर रहा है।

केटीआर ने कहा कि कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना को मिल रही सराहना को केंद्र पचा नहीं पा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र लिफ्ट सिंचाई परियोजनाओं को बिजली आपूर्ति से वंचित करने की साजिश रच रहा है।

इस बीच, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय कुमार ने बीआरएस द्वारा विरोध प्रदर्शन के आह्वान को राजनीतिक नौटंकी करार दिया है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि सिंगरेनी का निजीकरण नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की एससीसीएल में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है और इसलिए बीआरएस के इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है कि केंद्र इसका निजीकरण करने की कोशिश कर रहा है।

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