प्रिंसिपल सेक्रेटरी को लेकर बंगाल गवर्नर और सरकार में बढ़ा गतिरोध

Sabal Singh Bhati
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कोलकाता, 14 फरवरी ()। पश्चिम बंगाल में राज्यपाल आनंदा बोस की प्रिंसिपल सेक्रेटरी नंदिनी चक्रवर्ती को बदलने के प्रस्ताव पर सरकार और राजभवन में गतिरोध बढ़ गया है।

राज्य सचिवालय से अभी तक कोई संकेत नहीं मिला है कि नंदिनी चक्रवर्ती को बदलने के राजभवन के अनुरोध को स्वीकार किया जाएगा या नहीं। तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता कुणाल घोष के एक बयान ने स्पष्ट संकेत दिया कि राज्य की सत्ताधारी पार्टी इस घटनाक्रम से खुश नहीं है।

सीवी आनंदा बोस को उन्हीं लोगों ने पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया जिन्होंने पहले जगदीप धनखड़ को किया था। कार्यशैली में अंतर होने के बावजूद उनकी जड़ें समान हैं। इसलिए, यह सोचना गलत होगा कि बोस और धनखड़ के अलग-अलग लक्ष्य होंगे।

घोष ने कहा, जब तक राज्यपाल कानूनी प्रावधानों के अनुसार काम करते हैं और शिष्टाचार का माहौल बनाए रखते हैं, तब तक हमारी ओर से भी शिष्टाचार रहेगा। लेकिन अगर राज्यपाल राज्य सरकार के खिलाफ अपनी सीमा से परे काम करते हैं, तो प्रतिक्रिया बदल जाएगी।

इस बीच, राज्य सरकार के सूत्रों ने कहा कि नंदिनी चक्रवर्ती के साथ राजभवन का झगड़ा तब शुरू हुआ जब चक्रवर्ती ने राज्यपाल के लिए एक सलाहकार समिति के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी देने से इनकार कर दिया। आनंदा बोस की पसंद तमिलनाडु कैडर के एक पूर्व आईएएस अधिकारी और एक पूर्व आईपीएस अधिकारी थे जिन्होंने सीबीआई के विशेष निदेशक और दिल्ली पुलिस के आयुक्त के रूप में भी काम किया है।

घोष ने कहा कि अगर इस कारण से चक्रवर्ती को हटाया जाना है, तो संदेह पैदा होगा कि पर्दे के पीछे कुछ चल रहा है।

उन्होंने कहा, अगर राज्यपाल दूसरे राज्यों के आईपीएस अधिकारियों को अलग तरीके से इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं, तो हमारी तरफ से भी प्रतिक्रिया अलग होगी।

इस बीच तृणमूल कांग्रेस पर राज्यपाल का अपमान करने का आरोप लगाते हुए भाजपा प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि तृणमूल ने कभी भी संवैधानिक जरूरतों की परवाह नहीं की और वह इस बार भी वही कर रही है।

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