कर्नाटक के मंत्री ने सिद्धारमैया के खिलाफ टिप्पणी पर जताया खेद

Sabal Singh Bhati
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बेंगलुरु, 16 फरवरी ()। कर्नाटक के उच्च शिक्षा, आईटी, बीटी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. सी.एन. अश्वथ नारायण ने गुरुवार को विपक्ष के नेता सिद्धारमैया की ओर निर्देशित अपने उसे खत्म करो वाले बयान पर खेद व्यक्त करते हुए विवाद को समाप्त करने की मांग की।

पत्रकारों से बात करते हुए, नारायण ने कहा कि बयान परिस्थितिजन्य था। उन्होंने कहा, पीएम मोदी को कसाई कहना। कर्नाटक के मुख्यमंत्री को एकवचन में संबोधित करना सिद्धारमैया की संस्कृति का हिस्सा है। मैंने उन शब्दों का उच्चारण लोगों को चुनाव में कांग्रेस पार्टी को हराने के लिए आह्वान करने के इरादे से किया था। लेकिन अगर इससे उन्हें कष्ट हुआ है, तो इसका मुझे अफसोस है।

इसके अलावा, मंत्री ने कहा कि उनका बयान चुनाव के मद्देनजर दिया गया था। कांग्रेस पार्टी के नेता टीपू सुल्तान का महिमामंडन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, कांग्रेस के खिलाफ वैचारिक और राजनीतिक लड़ाई है। यह युद्ध नहीं हैं।

उन्होंने कहा, चुनावों की तुलना युद्ध से करने पर, कहा जाता है कि हमें जीतना चाहिए। सिद्धारमैया के खिलाफ मेरी व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। अगर उन्हें इससे पीड़ा होती है, तो मुझे खेद है। मेरे बयान को तोड़ा-मरोड़ा गया है। मैंने धर्म के नाम पर समाज को तोड़ने के लिए कुछ नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि परिस्थितिजन्य बयान को सिद्धारमैया ने तोड़ा-मरोड़ा और अपनी सुविधा के अनुसार इस्तेमाल किया है।

मांड्या जिले के सतनूर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान मंत्री अश्वथ नारायण ने कहा था सिद्धारमैया टीपू सुल्तान (मैसूर के पूर्व शासक) के स्थान पर आएंगे। क्या आप वीर सावरकर या टीपू सुल्तान चाहते हैं? आपको फैसला करना होगा।

आप जानते हैं कि उरी गौड़ा और नानजे गौड़ा (टीपू सुल्तान से लड़ने वाले सैनिकों) ने टीपू सुल्तान के साथ क्या किया। इसी तरह उन्हें (सिद्धारमैया) को खत्म कर देना चाहिए। इस बयान से राज्य में विवाद छिड़ गया।

सिद्धारमैया ने मांग की थी कि मंत्री अश्वथ नारायण को तुरंत कैबिनेट से हटा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, नारायण ने मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति की तरह बयान दिया।

पूर्व मुख्यमंत्री और जद(एस) नेता एच.डी. कुमारस्वामी ने बीजेपी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, उसे खत्म करो बयान मंत्री अश्वथ नारायण की संस्कृति को दर्शाता है। भाजपा की विचारधारा अलग है और विचार अलग है।

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