महात्मा गाँधी की निर्मम हत्या
30 जनवरी, 1948 को शाम पाँच बजकर 5 मिनट पर गाँधीजी प्रार्थना सभा के लिए बिड़ला भवन से निकले। प्रार्थना सभा में हजारों व्यक्ति उपस्थित थे। जैसे. ही महात्मा गाँधी प्रार्थना सभा में पहुँचे महाराष्ट्र के एक युवक नाथूराम गोडसे ने प्रार्थना सभा में जाकर पहले झुककर गाँधीजी को सादर प्रणाम किया और फिर रिवाल्वर से तीन गोलियाँ उन पर दाग दी।
महात्मा गाँधी तुरन्त भूमि पर गिर पड़े। मुख से निकला-राम! गाँधीजी ने पाँच बजकर बीस मिनट पर अन्तिम साँस ली। इस दुःखद घटना से सारा विश्व काँप उठा। मनुष्य को दया की राह दिखाने वाला महान आत्मा इस दुनिया से लोप हो गया। जिसने भी सुना स्तब्ध रह गया।
भावना प्रधान हृदय वाले दुःख से रो पड़े। सभी राष्ट्रों के प्रमुख व्यक्तियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। दिल्ली में यमुना नदी के किनारे ‘राजघाट’ नामक स्थान पर गाँधीजी का शव दाह हुआ। शव यात्रा का जुलूस मीलों लम्बा था। महात्मा गाँधी की चिता को उनके पुत्र रामदास गाँधी ने मुखाग्नि दी। गाँधीजी आज हमारे मध्य नहीं है, परन्तु उनका सन्देश आज भी भारत का पथ-प्रदर्शन कर रहा है और करता रहेगा।
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