बाड़मेर। जिले की ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना में लागातार हो रहे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा लगातार औचक निरीक्षण किए जा रहे है तथा जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारियों पर लगातार कार्रवाही की जा रही है। इसके बाद भी विभाग के लचर अधिकारी व कर्मचारी बेखौफ तरीके से अपनी कार्यप्रणाली बदल नही पा रहे है तथा पहले की तरह ही भ्रष्टाचार कर रहे है।
बाड़मेर जिले की पंचायत समिति शिव की ग्राम पंचायत पोशाल में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। ग्राम पंचायत के कार्मिकों द्वारा मनरेगा योजना में लगातार बेखौफ तरीके से भ्रष्टाचार किया जा रहा है। ग्राम पंचायत में विभिन्न कार्यों के इसी हफ्ते में 436 श्रमिको के नाम के मस्टरोल चलाए जा रहे है।
श्रमिकों की उपस्थिति के लिए किए जा रहे भ्रष्टाचार को आप फोटो में देख सकते है। पंचायत समिति शिव के अधिकारियों व कर्मचारियों की शह पर ग्राम पंचायत पोशाल में पिछले हफ्ते भी इसी तरीके से किए जा रहे मनरेगा में भ्रष्टाचार के साथ 314 फर्जी श्रमिकों का लगभग 8 लाख 37 हजार रुपए का भुगतान बिना भौतिक सत्यापन के कर दिया।
केंद्र सरकार ने मनरेगा में भ्रष्टाचार रोकने के लिए पिछले साल ही NMMS एप शुरू किया जिसमें कार्य की लोकेशन, समय और श्रमिकों की फोटो के साथ ऑनलाइन उपस्थिति होती है। लेकिन ग्राम पंचायत ने सरकार और मनरेगा एक्ट के सभी नियमों को ताक में रखते हुए फर्जीवाड़ा करने में कोई कसर नही छोड़ी है।
मनरेगा में NMMS एप पर फर्जी फोटो अपलोड
बाड़मेर में ग्राम पंचायत के लिए ये कोई नई बात नही है, NMMS एप पर उपस्थिति के लिए श्रमिकों की जगह पुराने फोटो अपलोड कर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है।रात को लगाई जा रही उपस्थिति:मनरेगा में अभी कार्य समय सुबह 9 बजे से लेकर शाम को 5 बजे तक चल रहा है, लेकिन यहां फर्जीवाड़े के चलते इसका भी ध्यान नहीं रखा गया, और शाम को 7 बजकर 37 मिनट पर उपस्थिति लगाई गई है।
NMMS एप घर बैठकर लगाई उपस्थिति
कार्य की मुख्य लोकेशन से 3 किमी दूर एक घर से उपस्थिति लगाई गई है, जिसको फोटो में देख सकते है।
उपस्थिति के लिए द्वितीय फोटो नही लिया गया:
मनरेगा में श्रमिकों को प्रतिदिन टास्क दिया जाता है, यह टास्क ग्रुप में या सिंगल हो सकता है, जिसको पूरा करने के बाद एप में उपस्थिति के लिए फोटो अपलोड करना होता है, पंचायत में यह भी नही किया गया है, जिसको फोटो में देख सकते है।
मनरेगा में नही होती है सक्षम स्तर पर जांच:
बाड़मेर में ग्राम पंचायतों द्वारा किए जा रहे फर्जीवाड़े की जांच किए बिना ही भुगतान किया जाता है, जबकि नियमानुसार पंचायत समिति स्तर पर श्रमिकों द्वारा किए गए कार्यों की माप लेने के बाद भुगतान किया जाता है, लेकिन अधिकारियों द्वारा मामला संज्ञान में होने के बाद ना कोई जांच की जाती है और ना ही कार्रवाई की जाती है। इसके विपरित सीधा ही भुगतान कर दिया जाता है।
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