वाराणसी। उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी काशी (वाराणसी) में शारदीय नवरात्र की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। पितृ पक्ष की समाप्ति के साथ ही देवी उपासना का महापर्व सोमवार से आरंभ हो रहा है। देवी मंदिरों में रंग-रोगन, साफ-सफाई और सुरक्षा की दृष्टि से बैरिकेडिंग का कार्य पूर्ण हो गया है। बाजारों में रविवार को पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी, जिससे नवरात्र की आहट स्पष्ट महसूस की जा रही है। इस बार शारदीय नवरात्र पूरे दस दिनों तक मनाया जाएगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित रविंद्र तिवारी के अनुसार, पंचांग की गणना के आधार पर इस बार कोई भी तिथि क्षय नहीं हो रही है, इसलिए पर्व की अवधि दस दिन की होगी। इस बार नवरात्र के दिनों में अंतर का मुख्य कारण हिंदू पंचांग पर आधारित है। पंचांग में तिथि की गणना सूर्योदय और सूर्यास्त के आधार पर की जाती है। कभी-कभी एक ही दिन में दो तिथियां पड़ जाती हैं या कोई तिथि पूरे दिन नहीं रहती।
खास बात यह है कि इस बार नवरात्र की शुरुआत सोमवार को हो रही है, जिससे देवी का आगमन गज (हाथी) पर हो रहा है। देवी पुराण के अनुसार, ह्लशशि सूर्य गजरूढ़ा शनिभौमै तुरंगमेह्व – यानी यदि नवरात्र रविवार या सोमवार को शुरू हो तो देवी गजराज पर सवार होकर पधारती हैं। यह योग देश और समाज के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि गज पर आगमन से वर्षा समुचित होती है, कृषि समृद्ध होती है और समाज में स्थिरता आती है।