दलित महिला अणसी देवी का शव 3 दिन बाद जेसीबी से खुदाई कर दबंगों ने बाहर निकाला

Sabal Singh Bhati
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सबलसिंह भाटी. बाड़मेर. अणसी देवी, जिसने अपनी पूरी जिंदगी गांव के लोगों के घरों में होने वाले मांगलिक अवसरों पर ढोल बजाकर और गाने गाकर, लोगों की खुशियां दोगुनी कर देती थी, उसी अणसी देवी के शव को गांव के दबंगों ने अणसी देवी की मौत के बाद गांव के सार्वजनिक श्मशान घाट की मिट्टी को भी नसीब नहीं होने दी.

मरने के बाद भी शव को दफनाने के लिए 2 गज जमीन भी नसीब नहीं होने देने का मामला सरहदी बाड़मेर जिले की ग्राम पंचायत रामसर का कुआ का है, जहाँ दलित वर्ग से आने वाली 90 वर्षीय अणसी देवी के शव को दफ़नाने के तीन दिन बाद 30 जून को गाँव के दबंगों ने जेसीबी से निकलवा कर मिट्टी सहित सरपंच विशनाराम जाट के टेक्टर में भरवा कर परिजनों को यह तालिबानी फरमान सुना कर सौप दिया कि, “इसे अपने घर में दफनाओ”.

बाड़मेर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर रामसर का कुआ ग्राम पंचायत में दलित वर्ग में आने वाली ढाढ़ी जाति की 90 वर्षीय अणसी देवी का 27 जून को निधन हुआ था. जिसके बाद परिजनों और समाज के लोगों ने गांव के ही घोनरी नाडी के पास स्थित सार्वजनिक श्मशान घाट की चार दिवारी के पास उसको दफना दिया था.

इसका पता चलते ही सरपंच विशनाराम जाट सहित कई दबंगों ने परिवार पर दबाव बनाया कि इसको यहाँ से बाहर निकाल कर रावतसर स्थित श्मशान घाट में दफनाओं.

गौरतलब है कि रामसर का कुआ ग्राम पंचायत बनने से पूर्व रावतसर ग्राम पंचायत का हिस्सा था. छः माह पूर्व ढाढ़ी जाति के एक युवक का निधन होने के बाद जब उसका शव रावतसर के सार्वजनिक श्मशान घाट में दफनाया तो गाँव वालों ने कहा था कि अब आपकी ग्राम पंचायत अलग बन गई है, आगे से आप अंतिम संस्कार अपनी ग्राम पंचायत में करना.

इसलिए अणसी देवी के परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार अपनी ग्राम पंचायत के सार्वजनिक श्मशान घाट के पास किया लेकिन 3 दिन बाद शव की बेकद्री के बाद अपने घर के पास स्थित खेत में कर दिया.

सबसे बड़ी हैरत की बात है कि जब सरपंच विशनाराम जाट सहित कई दबंग अणसी देवी के परिजनों को 27 जून के बाद से शव वापिस निकालने के लिए धमका रहे थे तब परिजनों ने जिला कलेक्टर लोक बंधु को इसकी सूचना भी दी.

इसके बाद 30 जून को बाड़मेर ग्रामीण तहसीलदार चन्दन पंवार ने रामसर का कुआ में जाकर अणसी देवी के परिजनों को धमकाया, कि आपने गौचर में शव को दफना कर बहुत बड़ा जुर्म कर दिया है, इसको वापिस निकलवा कर अपने घर में दफन करो. शव को वापिस निकालने पर परिजनों की सहमति के तौर पर जबरन लिखवा भी लिया की हमने भूल में गौचर में शव को दफना दिया है.

90 वर्षीय अणसी देवी के शव की बेकद्री करने की इंसानियत को शर्मसार करने वाली इस घटना के तीन दिन बाद भी प्रशासन लिपापोती में लगा है और नेताओं के चेहरों पर मरघट जैसी छाई है और दलित अत्याचारों पर आन्दोलन करने वाले दलित चिंतक मौन है.

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